मुक्त मुक्तक : 896 - देखते हैं

कि बेख़ौफ़ हो हम न डर देखते हैं ।। मचल कर तेरी रहगुज़र देखते हैं ।। तू दिख जाए खिड़की पे या अपने दर पर , तेरे घर को भर-भर नज़र देखते हैं ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति
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