*मुक्त-मुक्तक : 843 - यूँ ही गुलशन में.....
मेरे खिलते ही पूरा मुझको भी तोड़ा जाता ॥ यूँ ही गुलशन में मुझ कली को न छोड़ा जाता ॥ खूबसूरत भी नहीं और न खुशबूदार हूँ मैं , वरना मुझको भी इत्र को न निचोड़ा जाता ॥ -डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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