बग़ैर ज़ीना
बलंदी गले लगा
चूमी !!
गली हर एक
चले बिन ही जन्नती
घूमी !!
वो आके बैठ गए क्या
ज़रा
सा पहलू में ,
बिना पिये ही चढ़ी
ज़िंदगी
नची-झूमी !!
( ज़ीना=सीढ़ी ,बलंदी=ऊँचाई ,जन्नती=स्वर्ग की
,पहलू=गोद )
-डॉ. हीरालाल
प्रजापति
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