*मुक्त-मुक्तक : 666 - हो गया इक दिन नशा.....

खुल के या छुप के जनाब अच्छा नहीं ॥ ताकना उनका शबाब अच्छा नहीं ॥ हो गया इक दिन नशा भूले मगर , रोज़ ही पीना शराब अच्छा नहीं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति
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