*मुक्त-मुक्तक : 627 - हो जाए न सुन................
हो जाए न सुन चेहरा ज़र्द सुर्ख़-सब्ज़ भी ॥ थम जाए चलते-चलते यकायक न नब्ज़ भी ॥ मेरे तो सामने न इसका नाम लीजिए , मुझको है खौफ़नाक क़यामत का लफ़्ज़ भी ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति
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