ज़्यादा न सही मैंने
माना
कम बहुत ही कम ॥
कम बहुत ही कम ॥
लेकिन है तुझको मुझसे
जुदाई का कुछ तो ग़म ॥
जुदाई का कुछ तो ग़म ॥
बेशक़ तू मुस्कुरा ,तू
खिलखिला ,तू नाच-गा ,
खिलखिला ,तू नाच-गा ,
करती हैं ये चुगली
तेरी
आँखें उदास-ओ-नम ॥
आँखें उदास-ओ-नम ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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