*मुक्त-मुक्तक : 389 - चिलग़ोज़ा , काजू.................
चिलग़ोज़ा ,
काजू , बादाम से
थोथा चना हुआ ॥
थोथा चना हुआ ॥
आग – आग से धुआँ –
धुआँ सा
कोहरा घना हुआ ॥
कोहरा घना हुआ ॥
पूछ रहा है जानबूझकर
तो फ़िर सुन ले राज़ ,
तो फ़िर सुन ले राज़ ,
हाँ ,
तेरे ही इश्क़ में ज़ालिम
मैं यों फ़ना हुआ ॥
मैं यों फ़ना हुआ ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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