*मुक्त-मुक्तक : 383 - कभी हुआ न किसी ने......................
कभी हुआ न किसी ने
मुझे सराहा हो ॥
मुझे सराहा हो ॥
किया हो दोस्ताना
झूठ ही निबाहा हो ॥
झूठ ही निबाहा हो ॥
कभी भी भूलकर न
याद आ रहा है मुझे ,
याद आ रहा है मुझे ,
किसी ने प्यार किया
हो
किसी ने चाहा हो ॥
किसी ने चाहा हो ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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