वो बर्फ़ ओढ़े अंदर
होली सा जल रहा है ॥
होली सा जल रहा है ॥
ऊपर है ठहरा-ठहरा
नीचे वो चल रहा है ॥
नीचे वो चल रहा है ॥
हस्ती में उसकी क़ामिल
जद्दोजहद है फिर भी ,
जद्दोजहद है फिर भी ,
हालात के मुताबिक़
पानी सा ढल रहा है ॥
पानी सा ढल रहा है ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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