सदा जले थे जिसकी उत्कट
भूख पिपासा में ॥
भूख पिपासा में ॥
जिसे किया था प्रेम प्यार
की
ही प्रत्याशा में ॥
ही प्रत्याशा में ॥
नहीं मिला साँसे देकर
भी
जिसका अंतर्तम ,
जिसका अंतर्तम ,
रहे अंत तक हाय उसी की
ही अभिलाषा में ॥
ही अभिलाषा में ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2 comments:
वो धुंडते रहे शब्द का अर्थ प्रेम की परिभाषा मे
मैने जो खोल दी दिल की किताब जिज्ञासा मे
धन्यवाद ! Suresh Rai जी !
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