बर्फ़ानी काली-रात
दुपहरी का आफ़्ताब ॥
दुपहरी का आफ़्ताब ॥
घनघोर अमावस में
ऊग जाये माहताब ॥
ऊग जाये माहताब ॥
दीवाने का हर्फ़-हर्फ़
लफ़्ज़-लफ़्ज़ सही हो ,
लफ़्ज़-लफ़्ज़ सही हो ,
चेहरे से इक ज़रा सा तू
उठा दे गर नक़ाब ॥
उठा दे गर नक़ाब ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !
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