सब हुए अत्याधुनिक
तू
अब भी दकियानूस क्यों ?
अब भी दकियानूस क्यों ?
सबकी चालें हिरणो चीती
तेरी अब भी मूस क्यों ?
तेरी अब भी मूस क्यों ?
न सही अंदर से ऊपर
से तो दिख शहरी यहाँ ,
से तो दिख शहरी यहाँ ,
सब हैं अप-टू-डेट इक
तू ही मिसाले हूश क्यों ॥
तू ही मिसाले हूश क्यों ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2 comments:
बहुत ही सुन्दर और सार्थक मुक्तक,आभार.
धन्यवाद ! राजेन्द्र कुमार जी !
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