*मुक्त-मुक्तक : 159 - जितना खट्टी कैरियों..............
जितना खट्टी कैरियों का
मीठे साँटों का लगा ॥
प्यार में चुंबन के सँग
औचित्य चाँटों का लगा ॥
औचित्य चाँटों का लगा ॥
गौर मुख पर श्याम तिल
जैसे लगाता चाँद चौ ,
जैसे लगाता चाँद चौ ,
पुष्प उद्यानों में यों
अस्तित्व काँटों का लगा ॥
अस्तित्व काँटों का लगा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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