अपनी पूरी हरेक
चुन के रज़ा करते हैं ॥
चुन के रज़ा करते हैं ॥
किए हैं काम कुछ ऐसे कि
मज़ा करते हैं ॥
सख़्त बचते हैं
बुराई से बुरे लोगों से ,
जो भी करते हैं
बहुत ठोक-बजा करते हैं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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2 comments:
वाह बात है।।
पधारें "आँसुओं के मोती"
धन्यवाद ! Pratibha Verma जी !
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