मुझसे न करना दीनो ईमान
की बातें ॥
आज होंगीं सिर्फ़ ऐशो आराम
की बातें ॥
फ़ुर्सत में हूँ लतीफ़े कह ,सुन या लड़ा गप,
मत कर ख़ुदा की हरगिज़ ना राम
की बातें ॥
सूखे की रेगज़ारों की प्यास भुलाकर ,
कर आज छलछलाते मै - जाम
की बातें ॥
पर्वा ज़माने भर की तू छोड़ अभी बस ,
सोच अपने फ़ायदे की निज काम
की बातें ॥
फ़ुटपाथी ज़िंदगी के मत क़िस्से सुना तू ,
कर आज महलों के फ़र्शो बाम
की बातें ॥
क़िस्सा-ए-ज़ौक़-ए-वस्ल अब तू छेड़ किसी का ,
आज हिज्र की न इश्क़े नाकाम
की बातें ॥
मत ज़िक्र
बर्फ़ का कर सर्दी में यहाँ तू ,
कर चाय की , अलावों की , घाम
की बातें ॥
मैं कह रहा हूँ मैं बेईमान नहीं हूँ ,
साबित करो या फिर सब इल्ज़ाम
की बातें ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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