ख़बरदार होली के रँग
में भंग मिला न जाये कोई ॥
रंग से नफ़रत करने वालों
रंग लगा न जाये कोई ॥
जिसको रंग न हो पसंद
मत उसको रंग तैयार करो ,
वरना सुर्ख़ रंग के बदले
ख़ून बहा न जाये कोई ॥
होली में बदले भी कितने
लोग चुकाया करते हैं ,
होशियार पर्दे होली
के बैर निभा न जाये कोई ॥
क़सम उठाकर घर से निकलो
कोई लाख दुहाई दे ,
अगर नहीं पीना है तुमको
भंग पिला न जाये कोई ॥
जोबन के अस्ताने तेरी
उम्र क़दम रखने को है ,
हुरियारा “ हीरा ’’ के जैसा अंग लगा
न जाये कोई ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
No comments:
Post a Comment