*मुक्त-मुक्तक : 49 - साकार सबके होने की........................
साकार सबके होने की
संभावनाएँ थीं ॥
संभावनाएँ थीं ॥
मस्तिष्क में जितनी भी मेरे
कल्पनाएँ थीं ॥
कल्पनाएँ थीं ॥
लक्ष्योन्मुख था मेरा हर इक
डग नपा तुला ,
डग नपा तुला ,
ईश्वर के मन में किन्तु अन्य
योजनाएँ थीं ॥
योजनाएँ थीं ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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