*मुक्त-मुक्तक : 52 - हर पल हर इक..................
हर पल हर इक जानिब तुमको ढूँढें हैं निगाहें ॥
मेरा इक इक कदम तुम्हारी नापा करे राहें ॥
कब मेरे सीने लगने तर-बतर इश्क़ में हो ,
फैलाये आओगी तुम अपनी गोरी बाहें ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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