मत
और किसी के खेल संग में तो मानूँ होली !!
तू
मुझको भिगो मैं तुझको रंग में तो मानूँ होली !!
मैं
तुझको भरे बैठा हूँ कबसे ठूँस-ठूँस मन में ,
तू
मुझको भरे जब हृदय अंग में तो मानूँ होली !!
मैं
राह कोई भी अपनाऊँ पाने की तुझे सजनी ,
सब
वैध रहें यदि प्रेम-जंग में तो मानूँ होली !!
लिख
लाख पत्र पे पत्र किन्तु जो अभिवान्छित मुझको ,
लिखे
तू अनंग लेख इक उमंग में तो मानूँ होली !!
पीते
हैं तेरे हाथों से सदा पर प्यार भी दे अपना ,
यदि
घोंट-घोंट कर आज भंग में तो मानूँ होली !!
-डॉ.
हीरालाल प्रजापति